ISSN 0976-8645

 

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भारत- नेपाल संबंधों में मिथिला के भूमिका

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मुकेश कुमार झा

९७४८८७५४४७
mkjhamithila@gmail.com

किसी भी राष्ट्र के आपसी संबंधों में उसके सांस्कॄतिक संबंधों का बहुत ही अहम भूमिका होती है। जहां तक भारत एवं नेपाल के  संबंधों का प्रश्न  है यह सर्वविदित है कि दोनों के संबंधों का मुख्य आधार ही सांस्कॄतिक समानता है। दोनों देशों का खान-पान रहन - सहन बोल- चाल एवं  पर्वत्योहारों में काफ़ी समानता है तथा इस  सांस्कॄतिक संबंधों का आधार मिथिला ही है। कहना ना होगा नेपाल की दूसरी राष्ट्रीय भाषा के रूप में मैथिेली ही प्रतिष्ठित है। किेसी भी राष्ट्र का उसके  पडोसी राष्ट्रों से संबन्धों के निर्वहण में सीमांत प्रान्त की भागीदारी नितान्त ही महत्वपूर्ण है। भारत और नेपाल दोनों राष्ट्रों के संबंध में मिथिला की भूमिका इन्ही तथ्यों से स्पष्ट होता है। आचार्य कोटिल्य ने सीमांत प्रदेशों के सन्दर्भ में विशेष रुप से चर्चा की है क्योंकि सीमांत प्रान्त के नागरिक दोनों राष्ट्रों में करीबी या दूरी बढाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। १ आज का विश्व मानव - जाति के लिये भयावह हो गया है। जन- जीवन का स्तर उन्नत करने के नाम पर जितने भी संघर्ष ओर अनुसंधान हो रहे हैं- वे विनाशकारी ही लगते हैं। इसकी पुष्टि आज विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त मतभेदों से होता है। यह अत्यंत दुःखद है कि इन उपलब्धियां ओर नये ज्ञान प्राप्त करके भी मानवीय सहयोग के राह रोडों से भरे पडे है। ज्ञान -विज्ञान  के उपलब्धियों का यह परिणाम क्यों ? अगर परस्पर संघर्ष ही अनिवार्य है तो विद्वानों की आवश्यकता क्या ? संयुक्त राष्ट्रसंघ क्यों ? पंचशील क्यों ओर शांति के संधान दर्शन ओर भाषण  इन सब प्रयासों के बावजूद हर क्षण जिस संघर्ष का वीभत्स रूप उभर कर सामने आता है वह निश्चय ही हमें एशिया के दो देशों, नेपाल ओर भारत की भूमिका क्या है ओर मैत्री-तंतु पर भविष्य का कैसा संकेत मिल रहा है और सीमांत प्रांत मिथिला की क्या भूमिका रही है यह प्रस्तुत अध्याय का विचारणीय विषय है।५ नेपाल ओर भारत की प्राकॄतिक बनावट एक ढंग की है और संस्कॄति, भाषा,
सामाजिक व्यवस्था, रहन-सहन तथा धर्म भी एक ही है। दोनों देशों के बीच में कोई भी प्राकॄकितिक विकट रेखा नहीं है ओर सदियों से दोनों देशों के निवासियो का अवागमन जारी है। आपसी सदभावना ओर परस्परिक सहयोग में सदैव वॄद्धि ही होती आई है। अतएव नेपाल भारत की मैत्री अनादि - अनन्त ओर स्वाभाविक है। जिसमें मिथिला की भूमिका सर्वाधिक अहम रही है।६ जहां तक भारत-नेपाल की मैत्री की बात है, हमारे आकाश के स्वछता को बादल कभी भी देर तक ढक नहीं सकता। एक ही सीमा से दोनो सटे हैं ओर परस्परिक मैत्री- सम्बन्ध के माध्यम से विश्व के लिये पूर्णतया प्रेरणादायक रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि नेपाल ओर भारत आभाव और  आवश्यकता को सदैव परस्पर सहयोग के आधार पर सुलझाया करते आए हैं नेपाल को विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये भारत से प्राप्त आर्थिक-सहयोग दोनों देशों में विस्तृत वाणिज्य-व्यवस्था नेपाल-भारत मैत्री के सुद्रिढता में रत अनेक संस्थां ओर उनके महत्वपूर्ण कार्यकलाप साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संपर्क दोनों राष्ट्रों के प्रमुख नेताओं के मैत्रीपूर्ण भ्रमण के साथ ही दोनों राष्ट्रों में पंचायत व्यवस्था को जो सम्मान प्राप्त है - उससे हमारे एकता पुष्टि होती है।

भारत नेपाल संबंध को मधुर बना रखने में मिथिला  का महत्वपूर्ण योगदान है। मिथिला वासी आन्तरिक रूप से भी निर्मल होते  हैं छल-कपट का लेश मात्र तक नही होता फ़लतः वे विविध संस्कॄतियों को स्वीकार कर लेते हैं फ़िर नेपाल की संस्कृति जो कि भारत ओर मुख्य रूप से मिथिला की संस्कृति है। नेपाल और मिथिला के मध्य निकटता लाने में मिथिला की भूमिका को निम्नलिखित संदर्भो के अंतर्गत देख सकते हैं - मिथिला ओर नेपाल के तराई के सामाजिक संरचना में ऐतिहासिक समानता एवं समरसता विद्यमान हैं। दोनों देशों की राजनीतिक सीमा कभी भी मिथिला के सामाजिक एकता को भंग नहीं कर पायी। केवल मैथिली भाषा के समानता अपितु खान - पान रीति -रिवाज रहन -सहन, पर्व -त्योहार आदि सामाजिक जीवन के किसी भी क्षेत्र में कभी भी कोई भेदभाव नहीं हो सका। १९वीं शदी से आज २१ वें शदी तक यह परम्परा अक्षुण्णधारा के भांति सदा प्रवाहित होते रहे है। सामाजिक एक्यभाव भारत - नेपाल सम्बन्धों को जबूत   सामाजिक आधार प्रदान करता है ९।


मिथिलावासी विविध प्रकार के साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से नेपाल के और भी नजदीक  रहे हैं प्राच्य काल से हे साहित्य ने मिथिला ओर नेपाल के सदैव बांध रखा है। मिथिला के महान रचनाकारों के लिये नेपाल सदैव उर्वर सावित हुआ है। चाहे वे मध्यकालीन विद्यापति हों या आज के नाटककार महेन्द्र मलंगिया इसी प्रकार मिथिला के ज्ञान के अक्षय भ्ंडार को नेपाल ने सदैव संरक्षित रखा १०। इस्लामे प्रसार के दोरान जब संस्कृति वांगमय भारत से विनष्ट होने लगा तो इसे नेपाल ने हे सुरक्षित रखा ११। यह साहित्य ओर ज्ञान का अटूट बंधन मिथिला ओर नेपाल के बीच  गहरे संबंधों का बोधिक आधार
प्रस्तुत करता है। इस बौद्धिक समन्वय का ही परिणाम है कि मिथिला ओर नेपाल का जनमत सदैव भारत-नेपाल मैत्री का प्रबल पक्षधर रहा है। जिसमें मिथिला के बौद्धिक परंपरा की महती भूमिका रही है १२  भाषागत एकता भी इन दोनों राष्ट्रों के पारस्परिक एकता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नेपाली व्यक्ति  भी मैथिली भाषा से उतना ही लगाव रखते हैं जितना मिथिला से १३। यह केवल १९ वीं सदी से प्रचलित रही है। अपितु आज के वैश्वीकरण के युग में भी संचार के संबंध में भी मैथिली को अंगीकार करना इस बात को ओर भी पुष्ट करता है १४। भारत - नेपाल मैत्री को बरकरार रखने में मैथिली भाषा का भी सराहणीय योगदान है।


मिथिला क्षेत्र इन राष्ट्रों के मध्य पारस्परिक सहयोग अपने भौगोलिक अवस्थित के कारण ही दे पाता है। नेपाल का एक बडा सीमा मिथिला क्षेत्र को स्पर्श करता है १५। साथ ही रेल बस ओर अन्यान्य सेवा सहज ही उपलब्ध है जिस कारण इनके पारस्परिक आदान-प्रदान का सिलसिला बना रहता है। इस भोगोलिक एकता ने ऐतिहासिक युगों में सांस्कृतिक एकता का पथ प्रशस्त किया है १६।भाषा, साहित्य, ज्ञान ओर संचार ही नहीं अपितु कला के क्षेत्र में दोनों के बीच जबर्दस्त तादात्म्य कायम है १७। मिथिला चित्रकला जितना मिथिला क्षेत्र में लोकप्रिय है उतना ही नेपाल में भी। विद्यापति के गीतों, कीर्तनियां नाचों लोक संगीत और  लोकनाट्यों ने भी समान रूप से मिथिला और नेपाल को सदैव आप्लावित किया है १८। मिथिला की लोक संस्कृति भारत-नेपाल संबंधों को व्यापक सांस्कृतिक आधार प्रस्तुत करती है।


इससे एक कदम आगे बढ कर कहा जा सकता है कि मिथिला ओर नेपाल के अंतः संबंधों ने भारत-नेपाल मैत्री संबंधों को आध्यत्मिक आधार प्रदान किया है १९। शैव एवं शाक्त धर्म ने मिथिला और नेपाल को अटूट आध्यात्मिक बंधन में बांध रखा है २०। मिथिलावा उसी श्रद्धा ओर विश्वास के साथ जनकपुर  तथा पशुपतिनाथ की तीर्थयात्रा करते हैं जिस रुप में नेपालवासी सिमरिया में मास ओर देवघर की तीर्थयात्रा करते हैं २१।

वस्तुतः नेपाल ओर मिथिला के साझे धार्मिक चेतना ने नेपाल ओर भारत संबंधों को आध्यात्मिक पवित्रता प्रदान की है। यही कारण है के चीन  के कुटिल चालों ओर पाकिस्तान के साजिशों का भारत-नेपाल मैत्री संबंधों पर कोई असर नहीं होता २२। मिथिला की भू-परिस्थितिकि ने भारत-नेपाल को सदैव निकटता बनाये रखने के लिये प्रेरित किया है। जिस प्रकार मिथिला ओर नेपाल का सामाजिक, संस्क्रितिक, आध्यात्मिक और आर्थिक आधार प्रस्तुत करता है २३। भले ही
सुगौली की संधि के द्वारा उपनिवेशवादियों ने मिथिला को दो भागों में खंडित कर दिया हो लेकिन वे मिथिला के आत्मा को खंडित करने में सक्षम नहीं
हो सके ओर यही मिथिला के  एकात्मा भारत-नेपाल संबंधों मे स्पंदित होते ही इसे एकता के सूत्रों में बांधते है २४। नेपाल में भारत विरोधे भावनां पर
काबू पाने में मिथिला के साथ नेपाल के ऐतिहासिक सरोकारों की महती भूमिका है २५। निस्संदेह मिथिला संस्कृति के आधारभूमि  पर ही भारतनेपाल संबंधों का भव्य भवन खडा है २६।



संदर्भ-


१। शिवदयाल अनुदित अर्थशास्त्र पेज नं० १७६

२। एच० टी० टी० पी० वीकीपीडिया डोट आर जी स्लैस यु एन ओ।

३।एचटी० टी० पी० वीकीपीडिया डोट आर जी डाट प्रिंसिपल्स ओफ़ पीसफ़ुल कोनिक्सस्टेन्स

४। गिरिजा किशोर झा मिथिला नेपालक वाराणसी,२००८


५। उपर्युक्त

६। वीरेन्द्र ग्रोवेर सम्पादक नेपाल-गवर्नमेट एंड पोलिटिक्स नई दिल्ली, २०००


७। राम प्रकाश शर्मा मिथिला का इतिहास दरभंगा

८। उपर्युक्त

९। बालचन्द्र शर्मा, नेपाल को ऐतिहासिक रूपरेखा , काठमांडू२०३७ सं०।


१०। राम प्रकाश शर्मा उपरोक्त

११। उपरोक्त

१२। डेनियल राईट हिस्ट्री ओफ़ नेपाल, नई दिल्ली, १९९३


१३। उपरोक्त

१४।उपरोक्त

१५। डी० आर० रेग्मी, माडर्न नेपाल कलकत्ता १९६१

१६। उपरोक्त

१७। के० सी० चौधरी, एंग्लो नेपालीज रिलेसन्स, कलकत्ता, १९६०

१८। एन० बी० थापा , हिस्ट्री आफ़ नेपाल,  कठमांडू, १९६०


१९। उपर्युक्त

२०। उपर्युक्त

२१। उपर्युक्त

२२। बी० डी० सनवाल,  नेपाल एण्ड ईस्ट एंडिया कम्पनी, बम्बई, १९६५


२३। उपर्युक्त

२४। उपर्युक्त

२५। राम प्रकाश शर्मा, पुर्वोक्त